अपने निवेश की परफार्मेंस का मापन कैसे करें?

By डीन डाइस्पैलेट्रो | August 13, 2014 | Last updated on August 13, 2014
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जब आप निवेश करते हैं, तो हर निवेशक का एक ही लक्ष्य होता है, कम से कम जोखिम में ज्यादा से ज्यादा प्रदर्शन (परफार्मेंस) हासिल करना।

सवाल यह है कि यह लक्ष्य कैसे हासिल करें। सर्वोत्तम रणनीतियों के बारे में लोगों में मतभेद हैं, और इस बारे में भी, कि निवेशकों के विकल्पों के मूल्यांकन में कौन सी मापनी उनकी सबसे बेहतर मदद कर सकती है।

सक्रिय बनाम निष्क्रिय

दो प्रमुख निवेश रणनीतियों में से चुनना होता हैः सक्रिय और निष्क्रिय।

जहां निष्क्रिय निवेश में आप ऐसी प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) की बॉस्केट खरीदते हैं, जो कमोवेश किसी सूचकांक, जैसे कि TSX की तरह होती है। किसी विशेष स्टॉक या सेक्टर में आप कितनी खरीदारी करें, यह कोई सलाहकार, पोर्टफोलियो मैनेजर या विश्लेषक नहीं तय करता, बल्कि इससे तय होता है कि उस सूचकांक पर दूसरों के सापेक्ष वह कंपनी या सेक्टर कितना बड़ा है।

दूसरी ओर सक्रिय निवेश में पोर्टफोलियो मैनेजर स्टॉक, बांड और अन्य इक्विटीज चुनता है। वे ऐसा पोर्टफोलियो बनाने के लिए कई तरह के विश्लेषण टूल्स का इस्तेमाल करते हैं जो उनके विचार में व्यापक बाज़ार में बेहतर परफार्म कर सकता हो।

कंपनी मापनियां जैसे कि इक्विटी पर रिटर्न (ROE), निवेशित पूंजी पर रिटर्न (ROIC) और कर्ज बनाम नकद (डेट-टू-कैश) प्रवाह उनको यह आकलन करने में मदद करता है कि कोई स्टॉक आउटपरफार्म कर सकता है कि नहीं। यदि पूरा बाज़ार 2% बढ़ता है, तो ये मैनेजर इसमें 4% या 5% या इससे भी ज्यादा बढ़त की उम्मीद करते हैं।

यह कैसे काम करता है?

किसी सक्रिय मैनेजर के लिए, कंपनी का साइज़ नहीं, बल्कि उसके बारे में आंतरिक जानकारी मायने रखती है। पृथक फर्में जो वित्तीय रूप से मजबूत प्रतीत होती हों, या ऐसे सेक्टरों में काम करने वाली कंपनियां, जिनमें प्रोडक्ट की भारी मांग हो, उनको पोर्टफोलियो में ऐसी कंपनियों या सेक्टरों से ज्यादा महत्त्व दिया जाता है जिनकी संभावनाएं कम प्रभावशाली होती हैं।

उदाहरण के लिए, एक सक्रिय मैनेजर कई रिसर्च रिपोर्टें देख सकता है और यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि रिसोर्स सेक्टर विपरीत हालातों का सामना करेगा जबकि कंज्यूमर स्टेपल्स सेक्टर में बेहतर गुंजाइश रहेगी। इस निष्कर्ष के आधार पर मैनेजर, कंज्यूमर स्टेपल्स स्टॉक्स को उससे अधिक महत्त्व दे सकता है जितना सूचकांक में हो, और रिसोर्स स्टॉक्स को कम महत्त्व दे सकता है।

सूचकांक की वेटिंग्स से हटकर किए गए फैसलों में अपने पूर्वानुमान सही साबित हो जाने पर सक्रिय मैनेजरों को बाज़ार में गिरावट के दौरान सूचकांक से कम नुकसान होता है, और बाज़ार में तेजी आने पर सूचकांक की अपेक्षा ज्यादा फायदा भी मिलता है।

परफार्मेंस मापने के लिए एक्टिव शेयर का उपयोग

उद्योगों पर निगाह रखने वाले अनेक लोग उन अध्ययनों की ओर संकेत करते हैं जो यह दर्शाते हैं कि ज्यादातर सक्रिय मैनेजर, सूचकांक की तुलना में उतना बेहतर लाभ नहीं दिला पाते, अगर निवेशकों से वसूली जाने वाली फीस भी जोड़ दी जाए। इससे यह दावे किए जाते हैं कि सक्रिय मैनेजर किफायती नहीं होते।

लेकिन येल के शोधकर्ताओं के. जे. मार्टजिन क्रीमर्स और एंती पेटाजिस्टो द्वारा विकसित एक्टिव शेयर नामक एक नई मापनी, इन अध्ययनों में दोष उजागर करती है।

एक्टिव शेयर, प्रतिशत रूप में इसकी माप करता है कि पोर्टफोलियो, किसी सूचकांक से कितना अलग हटकर है। यह मापनी दर्शाती है कि सक्रिय प्रबंधन का दावा करने वाले लगभग एक-तिहाई अमेरिकी म्यूचुअल फंड, वास्तव में निष्क्रिय तरीका अपनाते हैं और अपने बेंचमार्क सूचकों को ओवरलैप करते हैं। इसके अलावा यह पाया गया कि केवल एक-चौथाई सक्रिय फंड ही वास्तव में सक्रिय प्रबंधित थे।

इसलिए, सक्रिय प्रबंधन का दावा करने वाले ज्यादातर फंडों द्वारा सूचकांक की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन न कर पाने की वजह यह है कि वास्तव में वे बेंचमार्क के समान ही होते हैं। इसके विपरीत ज्यादा एक्टिव शेयर वाले फंड- जो सूचकांक की वेटिंग्स से काफी हटकर होते हैं- वे आउटपरफार्म करते हैं।

निष्कर्ष यह है कि अनेक फंड सूचकांक की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते क्योंकि उनके मैनेजर, जैसा कि निवेश जगत के विश्लेषक कहते हैं, दरअसल क्लोजेट इंडेक्सर्स होते हैं।

डीन डाइस्पैलेट्रो